विघ्नहर्ता भगवान गणेश
हिंदू धर्म के विघ्नहर्ता, बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि और शुभारंभ के देवता हैं। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र तथा कार्तिकेय के भाई हैं। उनका वाहन मूषक है और प्रिय भोग मोदक है। गणेश जी का स्वरूप गजमुखी और मानव शरीर वाला है।
DEVOTION AND MYTHOLOGY
8/30/20251 min read
गणेश जी के रोचक प्रसंग हैं।
गणेश जी का जन्म
स्रोत: शिव पुराण, पद्म पुराण
माता पार्वती जी ने स्नान करते समय अपने शरीर के उबटन से गणेश जी की रचना की।
उन्होंने बालक को जीवनदान देकर कहा कि वह उनके द्वार की रक्षा करे।
जब भगवान शिव जी स्नान करते समय अंदर प्रवेश करना चाहते थे, तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया।
क्रोधित होकर शिव जी ने उनका शीश काट दिया।
पार्वती जी दुखी हुईं, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने समाधान निकाला।
शिव जी ने कहा कि पहले जीवित प्राणी का सिर लाकर गणेश जी को जीवित किया जाए।
सबसे पहले हाथी का सिर मिला, इसलिए गणेश जी को गजानन कहा जाने लगा।
गणेश जी को प्रथम पूज्य देवता बनाने की कथा
एक बार सभी देवी-देवता यह विवाद करने लगे कि कौन सबसे पहले पूज्य हो।
भगवान शिव ने कहा कि जो भी पहले तीनों लोकों की परिक्रमा करेगा, वही प्रथम पूज्य होगा।
कार्तिकेय अपने मोर पर बैठकर तीनों लोकों की परिक्रमा करने निकल गए।
लेकिन गणेश जी ने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया।
उन्होंने अपने माता-पिता शिव-पार्वती की सात बार परिक्रमा की और कहा:
"माता-पिता ही तीनों लोकों के समान हैं।"
शिव-पार्वती उनकी बुद्धि से प्रसन्न हुए और घोषणा की कि
"गणेश जी ही प्रथम पूज्य होंगे।"
गणेश जी और चंद्रमा का शाप
स्रोत: ब्रह्मवैवर्त पुराण
एक बार गणेश जी ने खूब मोदक खाए और रात में चंद्रमा के दर्शन किए।
पेट भारी होने के कारण गणेश जी ठोकर खाकर गिर गए।
यह देखकर चंद्रदेव हँसने लगे।
क्रोधित होकर गणेश जी ने चंद्रमा को शाप दिया:
"जो भी तुम्हें देखेगा, वह कलंकित होगा।"
चंद्रमा घबराकर क्षमा माँगने लगे।
अंततः गणेश जी ने शाप को आंशिक रूप से वापस लिया।
तभी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा होती है और उस दिन चंद्र दर्शन वर्जित माना जाता है।
गणेश जी और वेद ज्ञान
महर्षि व्यास जी जब महाभारत की रचना कर रहे थे, तो उन्हें कोई ऐसा चाहिए था जो तेजी से लिख सके।
ब्रह्मा जी ने सुझाव दिया कि गणेश जी को लेखक बनाया जाए।
गणेश जी ने शर्त रखी:
"आप रचना करते समय रुकेंगे नहीं।"
व्यास जी ने भी शर्त रखी:
"आप बिना अर्थ समझे कुछ नहीं लिखेंगे।"
इस प्रकार गणेश जी ने अपनी बुद्धि और लेखनी से महाभारत को लिखा।
गणेश जी और कुबेर का अभिमान
एक बार धन के देवता कुबेर ने गणेश जी को भोज के लिए आमंत्रित किया।
गणेश जी ने लगातार सैकड़ों थालियों का भोजन कर लिया।
जब और भोजन न रहा, तो गणेश जी ने कुबेर का ही महल खाना शुरू कर दिया।
कुबेर घबराकर शिव जी के पास गए।
शिव जी ने गणेश जी को एक मुट्ठी चावल दिए।
चावल खाते ही गणेश जी की भूख शांत हो गई।
इससे कुबेर का अभिमान भंग हुआ और उन्हें समझ आया कि धन नहीं, बल्कि भगवान की कृपा ही श्रेष्ठ है।
गणेश जी और परशुराम जी का संघर्ष
एक बार भगवान परशुराम कैलाश पर्वत पर शिव जी से मिलने गए।
गणेश जी ने उन्हें रोक दिया क्योंकि शिव-पार्वती विश्राम कर रहे थे।
परशुराम क्रोधित हो गए और अपना फरसा उठाकर गणेश जी पर प्रहार किया।
गणेश जी ने वह वार सहन किया, जिससे उनकी एक दाँत टूट गई।
तभी से गणेश जी को एकदंत कहा जाता है।
निष्कर्ष
गणेश जी के किस्से हमें तीन मुख्य बातें सिखाते हैं:
बुद्धि और ज्ञान का महत्व
माता-पिता और बड़ों का सम्मान
अहंकार का त्याग और विनम्रता का पालन